अकबर बुगती
Nawab Akbar Shahbaz Khan Bugti نواب اکبر شهباز بکٹی | |
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पद बहाल 15 February 1973 – 3 January 1974 | |
पूर्वा धिकारी | Ghaus Bakhsh Bizenjo |
उत्तरा धिकारी | Ahmad Yar Khan |
पद बहाल 4 February 1989 – 6 August 1990 | |
पूर्वा धिकारी | Jam Ghulam Qadir Khan |
उत्तरा धिकारी | Taj Muhammad Jamali |
19th Tumandar of the Bugti Tribe
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पूर्वा धिकारी | Nawab Mehrab Khan Bugti |
उत्तरा धिकारी | Nawab Mir Aali khan Bugti |
जन्म | 12 जुलाई 1927 Barkhan, Barkhan District, Balochistan |
मृत्यु | 26 अगस्त 2006 (उम्र 79) Kohlu, Balochistan |
राजनीतिक दल | Jamhoori Watan Party |
जीवन संगी | Three Marriages: 1st Baloch, 2nd Pashtun & 3rd Persian |
निवास | Dera Bugti, Balochistan |
पेशा | Tumandar of Bugti Tribe, politician |
धर्म | Sunni Muslim |
नवाब अकबर खान बुगती (12 जुलाई 1927–26 अगस्त 2006) पाकिस्तान स्थित बलूचिस्तान प्रांत के एक राष्ट्रवादी नेता थे जो बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग एक देश बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 26 अगस्त 2006 को बलूचिस्तान के कोहलू जिले में एक सैन्य कार्रवाई में अकबर बुगती और उनके कई सहयोगियों की हत्या कर दी गई थी। इस अभियान का आदेश जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने दिया था जो तब देश के सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति दोनों थे।[1]
मुशर्रफ का शासन समाप्त होने के बाद अगली सरकार द्वारा 13 जून 2013 को इस हत्या के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।[2] हालांकि अक्टूबर 2013 में इस मामले में सबूतों के अभाव में उन्हें जमानत दे दी गई।[3]
उनके चौथे बेटे तलाल अकबर बुगती ने अक्टूबर 2010 में मुशर्रफ को मारने पर एक अरब रुपये और 100 एकड़ खेती की जमीन इनाम में देने की घोषणा की थी। दिसंबर 2013 में उन्होंने इसे बढ़ाकर दोगुना अर्थात् दो अरब रुपये और 200 एकड़ खेती की जमीन देने की घोषणा की। 2012 में अकबर बुगती के एक पोते ने मुशर्रफ के सिर पर 10.1 करोड रुपये का इनाम रखा था।[1]
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