Saturday, November 17, 2018

इतिहास आवर्त सारणी

इतिहास   आवर्त सारणी 


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आवर्त सारणी (अथवा, तत्वों की आवर्त सारणी) रासायनिक तत्वों को उनकी संगत विशेषताओं के साथ एक सारणी के रूप में दर्शाने की एक व्यवस्था है। आवर्त सारणी में रासायनिक तत्त्व परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाये गये हैं तथा आवर्त (पिरियड), प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूह में वर्गीकृत किया गया है। वर्तमान आवर्त सारणी मैं ११८ ज्ञात तत्व सम्मिलित हैं। सबसे पहले रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ (सही उच्चारण- मेन्देलेयेव) ने सन १८६९ में आवर्त नियम प्रस्तुत किया और तत्वों को एक सारणी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके कुछ महीनों बाद जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर (1830-1895) ने भी स्वतन्त्र रूप से आवर्त सारणी का निर्माण किया। मेन्देलेयेव की सारणी से अल्फ्रेड वर्नर (Alfred Werner) ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप निर्मित किया। सन १९५२ में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी (scientist Gil Chaverri ) ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था।
रसायन शास्त्रियों के लिये आवर्त सारणी अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इसके कारण कम तत्वों के गुणधर्मों को ही याद रखने से काम चल जाता है क्योंकि आवर्त सारणी में किसी समूह (उर्ध्वाधर पंक्ति) या किसी आवर्त (क्षैतिज पंक्ति) में गुणधर्म एक निश्चित क्रम से एवं तर्कसम्मत तरीके से बदलते हैं। नीचे आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें १८ वर्ग तथा ७ आवर्त हैं-
समूह →123456789101112131415161718
↓ आवर्त
11
H

2
He
23
Li
4
Be

5
B
6
C
7
N
8
O
9
F
10
Ne
311
Na
12
Mg

13
Al
14
Si
15
P
16
S
17
Cl
18
Ar
419
K
20
Ca
21
Sc
22
Ti
23
V
24
Cr
25
Mn
26
Fe
27
Co
28
Ni
29
Cu
30
Zn
31
Ga
32
Ge
33
As
34
Se
35
Br
36
Kr
537
Rb
38
Sr
39
Y
40
Zr
41
Nb
42
Mo
43
Tc
44
Ru
45
Rh
46
Pd
47
Ag
48
Cd
49
In
50
Sn
51
Sb
52
Te
53
I
54
Xe
655
Cs
56
Ba
*
72
Hf
73
Ta
74
W
75
Re
76
Os
77
Ir
78
Pt
79
Au
80
Hg
81
Tl
82
Pb
83
Bi
84
Po
85
At
86
Rn
787
Fr
88
Ra
**
104
Rf
105
Db
106
Sg
107
Bh
108
Hs
109
Mt
110
Ds
111
Rg
112
Cn
113
Uut
114
Uuq
115
Uup
116
Uuh
117
Uus
118
Uuo

लैन्थनाइड57
La
58
Ce
59
Pr
60
Nd
61
Pm
62
Sm
63
Eu
64
Gd
65
Tb
66
Dy
67
Ho
68
Er
69
Tm
70
Yb
71
Lu
** ऐक्टिनाइड89
Ac
90
Th
91
Pa
92
U
93
Np
94
Pu
95
Am
96
Cm
97
Bk
98
Cf
99
Es
100
Fm
101
Md
102
No
103
Lr
आवर्त सारणी के इस प्रचलित प्रबन्ध में लैन्थनाइड और ऐक्टिनाइड को अन्य धातुओं से अलग रखा गया है। विस्तृत और अति-विस्तृत आवर्त सारणीओं में f-ब्लॉक और g-ब्लॉक धातुओं को भी एक साथ प्रबन्धित किया जाता है।
आवर्त सारणी में तत्त्वों की श्रेणियाँ
धातुउपधातुएँअधातुएँ
क्षारीय धातुएँक्षारीय पार्थिव धातुएँआंतरिक संक्रमण तत्वसंक्रमण धातुएँअन्य धातुअन्य अधातुएँहैलोजननिष्क्रिय गैस
लैन्थनाइडऐक्टिनाइड
परमाणु क्रमांक का रंग 0 °C तथा 1 atm दाब पर तत्त्व की अवस्था को दर्शाते हैं।
काला = ठोसहरा = द्रवलाल = गैस
किनारे (बॉर्डर) प्राकृतिक उपस्थिति दर्शाते हैं
आदि तत्वरेडियो-क्षय से प्राप्तकृत्रिमअनान्वेषित

अनुक्रम

  • 1समूह एवं आवर्त
  • 2आधुनिक आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ
    • 2.1वर्ग
    • 2.2आवर्त
  • 3इतिहास
  • 4आवर्त सारणी के अन्य रूप
  • 5सन्दर्भ
  • 6बाहरी कड़ियाँ

समूह एवं आवर्त

तत्वों के परमाणु भार के वृद्धि क्रम में क्रमबद्ध करने पर क्षैतिज कतारें प्राप्त होती हैं जिन्हें 'आवर्त' कहते हैं। आवर्त नियम के अनुसार तत्वों को परमाणु भार के वृद्धि क्रम में क्षैतिज कतारों में सजाने पर सामन गुण वाले तत्व एक ही उर्ध्वाधर कालम में उपस्थित रहते हैं, इन्हें 'वर्ग' (ग्रुप) कहते हैं।
आवर्त सारणी के उर्ध्व कतारों को 'समूह' या 'वर्ग' कहा जाता है। तत्वों के वर्गीकरण की दृष्टि से समूहों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ समूहों में, तत्व समान गुण दर्शाते हैं। इन समूहों के नाम क्षारीय तत्व, क्षारीय पार्थिव धातु, हैलोजेन, निक्टोजेन, चाल्कोजेन और अक्रिय गैस। आवर्त सारणी के क्षैतिज कतारों को आवर्त कहते हैं। हालांकि तत्वों के वर्गीकरण में समूह अधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं, फिर आवर्त सारणी में कई स्थल ऐसे होते हैं जहां आवर्त का महत्व अधिक हो जाता है। उदाहरण के रूप में डी-ब्लॉक या संक्रमण धातुओं और एफ-ब्लॉक को लिया जा सकता है।

आधुनिक आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ

आधुनिक आवर्त सारणी को आवर्त सारणी का दीर्घ रूप भी कहते हैं। इसमें 18 वर्ग (ग्रुप) तथा 7 आवर्त (पिरियड) हैं।

वर्ग

तत्वों के गुणों का आवर्ती परिवर्तन
किसी एक वर्ग के सभी तत्त्वों के परमाणुओं के सबसे बाहरी कक्षा में इलेक्ट्रानों की संख्या (अर्थात 'संयोजक इलेक्ट्रानों' की संख्या) समान होती है। इस कारण किसी एक वर्ग के सभी तत्वों के मुख्य गुण समान होते हैं।
  • हल्की धातुएँ - वर्ग 1 और 2 .
अल्कली धातुएं - वर्ग 1.
अल्कलाइन मृदा धातुएं - वर्ग 2.
  • भारी धातुएँ या संक्रमण धातुएँ' - वर्ग 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 .
  • अधातुएँ - वर्ग 13, 14, 15, 16 और 17.
  • अक्रिय गैसें - वर्ग 18 .
Periodic Table 2.svg
खण्ड या ब्लॉक
संयोजक इलेक्ट्रानों के आधार पर तत्वों को 4 खण्डों में बाँटा गया है- s, p, d, f .
s-block – वर्ग 1 तथा 2 .
p-block – वर्ग 13 से 18 .
d-block – वर्ग 3 से 12 .
f-block – लैन्थेनाइड और ऐक्टिनाइड (Lanthanide and Actinide series).
प्रतिनिधि तत्व (Representative Elements या Normal elements या Typical elements) – s-block और p-block के तत्वों को सम्मिलित रूप से
संक्रमण तत्व (Transition Elements) – d-block के तत्व
अन्तरिक संक्रमण तत्व (Inner Transition Elements) – f-block के तत्व -- इन्हें विरल मृदा तत्व (Rare Earth Elements) भी कहते हैं।

आवर्त

  • प्रथम आवर्त में केवल 2 तत्व हैं, यह सबसे छोटा आवर्त है।
  • दूसरे और तीसरे आवर्त में आठ-आठ तत्व हैं। इन्हें 'लघु आवर्त' (short period) कहते हैं।
  • चौथे और पाँचवें आवर्त में 18-18 तत्व हैं। इन्हें 'दीर्घ आवर्त' कहते हैं।
  • छठे आवर्त में 32 तत्त्व हैं। यह सबसे बड़ा आवर्त है।
  • सातवाँ आवर्त अपूर्ण है।
  • छठे आवर्त के तीसरे वर्ग में परमाणु क्रमांक 57 से 71 तक के तत्व हैं। इन्हें 'लैन्थेनाइड' कहते हैं।
  • सातवें आवर्त के तीसरे वर्ग में परमाणु क्रमांक 89 से103 वाले तत्त्व हैं। इन्हें ऐक्टिनाइड (actinides) कहते हैं।

इतिहास

आवर्त सारणी के जनक मेंडलीव
मेंडलीव की आवर्त सारणी (सन १८६९)
सबसे पहले रूसी रसायन-शास्त्री मेंडलीफ ने सन १८६९ में आवर्त नियम प्रस्तुत किया और तत्वों को एक सारणी के रूप में प्रस्तुत किया। इसके अनुसार,
तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणुभारों के आवर्तफलन होते हैं
अर्थात यदि तत्वों को परमाणु भार के वृद्धिक्रम में रखा जाय तो वो तत्व जिनके गुण समान होते हैं एक निश्चित अवधि के बाद आते हैं। मेंडलीव ने इस सारणी के सहारे तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आवर्ती होने के पहलू को प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया।
मैंडलीफ की आवर्त सारणी में कुल ८ वर्ग थे क्योंकि उस समय निष्क्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी। बाद में निष्क्रिय गैसों की खोज के पश्चात आधुनिक आवर्त सारणी में ९वें वर्ग को सम्मिलित किया गया। इस ९वें वर्ग को  (शून्य वर्ग) कहते हैं। वर्ग एक से आठवें वर्ग को रोमन अक्षर I, II, III, IV, V, VI, VII तथा VIII द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। नवें वर्ग को  द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।[1] इसके विकास के अंतिम चरण में राग, वर्नर, बोहर और बरी आदि वैज्ञानिकों ने आवर्त सारणी का आधुनिकतम रूप बनाया जो वर्तमान तक चलन में है। इन्होंने मेंडेलिव की आवर्त सारणी में उपस्थित श्रेणियों को खत्म किया तथा वर्गो की संख्या को ९ से बढ़ाकर १८ किया। इसके बाद भी हाइड्रोजनका दो स्थानों पर होना और लेंथेनाइड और एक्टीनाइड तत्वों को सारणी में स्थान न होना दो मुख्य दोष अब तक हैं।
मेडलीफ द्वारा आवर्त सारणी प्रस्तुत करने के कुछ महीनों बाद जर्मन वैज्ञानिक लोथर मेयर (1830-1895) ने भी स्वतन्त्र रूप से आवर्त सारणी का निर्माण किया। १८१५ से १९१३ तक इसमें बहुत से सुधार हुए ताकि नये आविष्कृत तत्वों को उचित स्थान दिया जा सके और सारणी नयी जानकारियों के अनुरूप हो।
मेन्देलेयेव की सारणी से अल्फ्रेड वर्नर (Alfred Werner) ने आवर्त सारणी का वर्तमान स्वरूप निर्मित किया। सन १९५२ में कोस्टा रिका के वैज्ञानिक गिल चावेरी (scientist Gil Chaverri ) ने आवर्त सारणी का एक नया रूप प्रस्तुत किया जो तत्वों के इलेक्ट्रानिक संरचना पर आधारित था।

आवर्त सारणी के अन्य रूप

32-कॉलम के रूप में आवर्त सारणी
थियोडोर बेन्फी (Theodor Benfey) की स्पाइरल आवर्त सारणी

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