ईश्वरी प्रसाद गुप्ता
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता

आई०पी०गुप्ता I.A.S.
अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सातवें उपराज्यपाल
कार्यकाल
23 दिसम्बर 1996 – 25 मई 2001
पूर्व अधिकारी वक्कम पुरुषोत्तमन
उत्तराधिकारी नागेन्द्रनाथ झा
जन्म 5 फ़रवरी 1931
आरा, बिहार
जीवन संगी सुशीला गुप्ता
संतान प्रमोद कुमार गुप्ता एवं विनोद कुमार गुप्ता (पुत्र)
पुष्पा वर्मा एवं पूनम वर्मा (पुत्री)
पेशा अवकाशप्राप्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी
धर्म हिन्दू
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता (जन्म : 5 फ़रवरी 1931, आरा, बिहार) 1958 बैच के अवकाशप्राप्त प्रशासनिक अधिकारी[1] है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव,त्रिपुरा के मुख्य सचिव एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल पद पर रह चुके हैं।
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता
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आई०पी०गुप्ता I.A.S.
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अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सातवें उपराज्यपाल
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कार्यकाल 23 दिसम्बर 1996 – 25 मई 2001 | |
पूर्व अधिकारी | वक्कम पुरुषोत्तमन |
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उत्तराधिकारी | नागेन्द्रनाथ झा |
जन्म | 5 फ़रवरी 1931 आरा, बिहार |
जीवन संगी | सुशीला गुप्ता |
संतान | प्रमोद कुमार गुप्ता एवं विनोद कुमार गुप्ता (पुत्र) पुष्पा वर्मा एवं पूनम वर्मा (पुत्री) |
पेशा | अवकाशप्राप्त भारतीय प्रशासनिक अधिकारी |
धर्म | हिन्दू |
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता (जन्म : 5 फ़रवरी 1931, आरा, बिहार) 1958 बैच के अवकाशप्राप्त प्रशासनिक अधिकारी[1] है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव,त्रिपुरा के मुख्य सचिव एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल पद पर रह चुके हैं।
अनुक्रम
संक्षिप्त जीवनी[संपादित करें]
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता का जन्म आरा, बिहार में ५ फ़रवरी १९३१ को बिश्वनाथ गुप्ता और जानकी देवी के यहाँ हुआ था। बचपन से ही मेधावी छात्र होने के नाते प्रारम्भिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक की समस्त परीक्षायें आद्योपान्त प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करते हुए मात्र बीस वर्ष की आयु में सन् १९५१ में पटना साइंस कालेज (वर्तमान पटना विश्वविद्यालय) से सर्वोच्च अंकों के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त करते हुए गणित में एम०एससी० की स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण कर ली थी।
यही नहीं, उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएल०बी० भी किया। अपने सम्पूर्ण जीवन में स्वामी विवेकानन्द के कर्मयोग को उन्होंने ऐसा आत्मसात किया कि व्यर्थ की यशलिप्सा की ओर उनका कभी ध्यान ही नहीं गया।
ईश्वरी प्रसाद गुप्ता का जन्म आरा, बिहार में ५ फ़रवरी १९३१ को बिश्वनाथ गुप्ता और जानकी देवी के यहाँ हुआ था। बचपन से ही मेधावी छात्र होने के नाते प्रारम्भिक विद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक की समस्त परीक्षायें आद्योपान्त प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करते हुए मात्र बीस वर्ष की आयु में सन् १९५१ में पटना साइंस कालेज (वर्तमान पटना विश्वविद्यालय) से सर्वोच्च अंकों के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त करते हुए गणित में एम०एससी० की स्नातकोत्तर उपाधि ग्रहण कर ली थी।
यही नहीं, उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश ग्रहण करने के पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएल०बी० भी किया। अपने सम्पूर्ण जीवन में स्वामी विवेकानन्द के कर्मयोग को उन्होंने ऐसा आत्मसात किया कि व्यर्थ की यशलिप्सा की ओर उनका कभी ध्यान ही नहीं गया।
प्रशासनिक भूमिका[संपादित करें]
गुप्ता जी ने सन् १९५८ में मणिपुर-त्रिपुरा कैडर से आई०ए०एस० किया और १९६९ तक अरुणाचल प्रदेश में डिप्टी कमिश्नर व सेक्रेटरी जैसे पदों पर कार्य किया। सन् १९६९ में उन्हें त्रिपुरा का मुख्य सचिव बनाया गया। बीच-बीच में कुछ समय के लिये भारत की केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्तियों को छोडकर उनका र्अधिकांश कार्यकाल पूर्वोत्तर राज्यों की प्रशासनिक सेवा में ही बीता।
गुप्ता जी ने सन् १९५८ में मणिपुर-त्रिपुरा कैडर से आई०ए०एस० किया और १९६९ तक अरुणाचल प्रदेश में डिप्टी कमिश्नर व सेक्रेटरी जैसे पदों पर कार्य किया। सन् १९६९ में उन्हें त्रिपुरा का मुख्य सचिव बनाया गया। बीच-बीच में कुछ समय के लिये भारत की केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्तियों को छोडकर उनका र्अधिकांश कार्यकाल पूर्वोत्तर राज्यों की प्रशासनिक सेवा में ही बीता।
पूर्वोत्तर राज्यों में दायित्व[संपादित करें]
- १९७५-१९७६: मणिपुर के हिल कमिश्नर,
- १९७६-१९८१: अरुणाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी,
- १९८४-१९८५: त्रिपुरा सरकार में मुख्य सचिव,
- १९८८-१९९०: त्रिपुरा के मुख्य सचिव पद पर फिर तैनात,
- १९७५-१९७६: मणिपुर के हिल कमिश्नर,
- १९७६-१९८१: अरुणाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी,
- १९८४-१९८५: त्रिपुरा सरकार में मुख्य सचिव,
- १९८८-१९९०: त्रिपुरा के मुख्य सचिव पद पर फिर तैनात,
गृह मन्त्रालय में प्रशासकीय पद[संपादित करें]
- १९७२-१९७५: भारत सरकार के गृह मन्त्रालय में डायरेक्टर/ज्वाइण्ट सेक्रेटरी,
- १९८५-१९८८: गृह मन्त्रालय भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव,
- १९९१-१९९३: सेण्ट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के सदस्य
- १९७२-१९७५: भारत सरकार के गृह मन्त्रालय में डायरेक्टर/ज्वाइण्ट सेक्रेटरी,
- १९८५-१९८८: गृह मन्त्रालय भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव,
- १९९१-१९९३: सेण्ट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल नई दिल्ली के सदस्य
नौकरशाह की भूमिका[संपादित करें]
नौकरशाही के अन्तिम पायदान पर[संपादित करें]
३३ वर्षों तक विभिन्न पदों पर रहने के बाद सन् १९९६ में उन्होंने २३ दिसम्बर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उप राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण की और लगभग साढे चार वर्षों तक उप राज्यपाल के गरिमामय पद पर रहकर २५ मई २००१ को ससम्मान सेवामुक्त हुए।
३३ वर्षों तक विभिन्न पदों पर रहने के बाद सन् १९९६ में उन्होंने २३ दिसम्बर को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उप राज्यपाल पद की शपथ ग्रहण की और लगभग साढे चार वर्षों तक उप राज्यपाल के गरिमामय पद पर रहकर २५ मई २००१ को ससम्मान सेवामुक्त हुए।
देश में नहीं विदेश में सम्मान[संपादित करें]
अभी हाल ही में उन्हें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने २७ मार्च २०१२ को अपने देश की राजधानी ढाका बुलाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर बोलते हुए शेख हसीना ने ईश्वरी प्रसाद गुप्ता सहित उन तमाम अन्य सम्मानित हस्तियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में सहयोग दिया।[3][4].
अभी हाल ही में उन्हें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने २७ मार्च २०१२ को अपने देश की राजधानी ढाका बुलाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर बोलते हुए शेख हसीना ने ईश्वरी प्रसाद गुप्ता सहित उन तमाम अन्य सम्मानित हस्तियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में सहयोग दिया।[3][4].
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